प्रिये मित्रों,
२०१९ के इस अंतिम क्षण में, अपने ब्लॉग का इस वर्ष का अंतिम विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ। मुझे याद है की २०१९ के पहली दिन ही मुझे CPCB में स्नातकोत्तर का शोधकार्य हेतु जाना पड़ा, इसी कारण पुरे वर्ष भर भिन्न भिन्न कारणों से व्यस्तता रही, जिसके परिणाम स्वरुप अपने ब्लॉग के लिए ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण योगदान नहीं दे सका।
इस वर्ष जलवायु परिवर्तन के संभावित दुष्परिणामों के झलक कई मौके और स्थानों पर देखने को मिला। साथ ही अभी वर्तमान में उत्तर भारत के राज्यों में ठण्ड के अपने ही पुराने रिकॉर्ड तोड़ने से यह और भी स्पस्ट होते जा रहा है की आने वाला वर्ष और भी कठिनाईयों से भरा रहेगा। देश की वर्तमान राजनितिक स्थिति भी कई मायनों में आने वाले वर्ष को प्रभावित करेगा।
अपने देश में चल रहे उत्थल पुत्थल की स्थिति को सोचते हुए मुझे एक कहानी याद आ रही है और सायद उसमे मेरे अपने विचार भी सम्मलित हो गए हैं जो उस कहानी को नए रूप में ला दिया है।
कहानी मेढकों के राज्य की है जो की एक कुँए के अंदर था। उस राज्य में कई मेढक थे कुछ कामगर थे तो कुछ बुद्धजीवी वर्ग से भी थे, कुछ राजनितिक रूप से सक्रिय भी थे तो कुछ सिर्फ अपने काम से मतलब रखते थे। उनका राजा बहुत ही निर्दयी था। राज्य के नागरिकों ने सर्वसहमति से एक नया राजा चुना। इस नये राजा को राज्य एवं शासन - प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था, उसने सिर्फ अपने पुराने राजा को ही राज कार्य करते हुए देखा था तो उसे लगा की यही तरीका है अपने नागरिकों पर राज्य करने का।
इस प्रकार नया राजा भी समय के साथ निर्दयी होता चला गया और पुराने राजा से भी ज्यादा निर्दयी हो गया| नागरिकों में कानाफूसी होने लगी, धीरे धीरे समय बीतता गया।
नागरिकों ने इस बार फिर से बैठक बुलाई और नया राजा चुनने का मन बनाया। लेकिन बैठक में बहुसंख्यक में ऐसे मेढक थे जो ये मानते थे की पिछली बार नया राजा जो चुने वो पुराने वाले से भी ज्यादा क्रूर है तो इस बात की क्या विश्वास है की अब जो नया शासक आएगा वो क्रूर नहीं होगा ...... ....... .... इसी प्रकार की बहस कई दिन तक चली और अंत में जो लोग चाहते थे की फिर से नया शासक चुने वो भी ये मान गए की सायद जो नया राजा आएगा वो भी निर्दयी ही होगा।
इस प्रकार वह के नागरिकों ने मन बनाया की अब अपने आखिरी सांस तक इसी राजा को अपना प्रभु मान कर जीवन यापन करेंगे।
इस कहानी को पढ़ने के बाद सबको अलग अलग विचार भी आएंगे और कुछ प्रतिक्रिया भी करने की इच्छा जागृत होगी तो आपका स्वागत है.. नीचे दिए कमेंट बॉक्स में अपने विचार जरूर प्रकट करें।
इन्ही शब्दों के साथ एक बार पुनः अलविदा २०१९ ................. स्वागत २०२०
नए वर्ष में अपने साथ साथ दूसरों का भी ख्याल रखिये क्योंकि नर सेवा से ही नारायण की सेवा होती है।
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